जयपुर। राजस्थान स्टूडियो की ओर से आयोजित ‘फिएस्टा आॅनलाइन‘ वर्कशॉप का समापन टीवी और बॉलीवुड एक्टर नरेन्द्र गुप्ता की मास्टरक्लास के साथ हुआ। नरेन्द्र गुप्ता ने अपने अनुभवों के साथ उभरते कलाकारों को एक्टिंग के टिप्स भी दिए। उन्होंने राजस्थान स्टूडियो के फाउंडर कार्तिक गग्गर के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मैं जयपुर के महाराजा कॉलेज से साइंस की पढाई कर रहा था और वहीं से रवीन्द्र मंच पर एक प्ले देखने गया। नाटक को देखने के बाद लगा कि यही वह काम है जो मुझे करना चाहिए।
मेरी थिएटर में रूचि बढने लगी, उन्हीं दिनों थिएटर के जाने—माने नाम भानू भारती जयपुर में अपनी एनएसडी की छुटिृटयों में एक नाटक की प्रस्तुति करने आए हुए थे। वे मेरे बडे भाई के मित्र थे, मैंने उनसे उनके नाटक में काम करने की रिक्वेस्ट की और उन्होंने रिहर्सल के लिए रवीन्द्र मंच बुलवा लिया। उस समय वे ‘जस्मा ओढन’ प्ले कर रहे थे, रिहर्सल में पहुंचा तो वहां जयपुर थिएटर के नामचीन दिग्गज मौजूद थे, जो उस नाटक का हिस्सा थे। नाटक का मुख्य किरदार ईला अरुण कर रही थी और मुझे उनके पति का रोल मिला। इस नाटक के बाद मुझे थिएटर और एक्टिंग से ऐसे प्यार हुआ कि जो आज तक नहीं छूटा है।
डॉक्टर के किरदार से हुई शुरुआत
उन्होंने कहा कि जब मैं दिल्ली के श्रीराम सेंटर में काम करने के बाद एनएसडी की रेपेटरी कंपनी को जॉइन किया। यहां मुम्बई की प्रसिद्ध डायरेक्टर विजया मेहता से मुलाकात हुई और उन्होंने साथ काम करने की इच्छा जताई। एक बार मैं मुम्बई में अपने दोस्तों से मिलने पहुंचा, यहां ईला अरुण ने मुझे विजया मेहता से मुलाकात करने को कहा। वे उन दिनों एक टीवी सीरियल बनाने की तैयारी में थी। मैं जब उनसे मिलने गया तो उन्होंने सीरियल ‘लाइफलाइन’ आॅफर किया और यहीं से मुम्बई के सफर की शुरुआत हो गई। इसमें डॉक्टर की भूमिका निभाई और इसकी शूटिंग नानावटी हॉस्पिटल में हुई। इसके बाद श्याम बेनेगल के सीरियल ‘भारत एक खोज’ में काम किया। यहां से फिर कई सीरियल किए, बंगाली सीरियल किए और गाडी आगे बढती रही।
एक एपिसोड का किरदार था ‘सीआइडी’ में
नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि ‘सीआइडी’ सीरियल के निर्माता—निर्देशक वीपी सिंह के साथ पहले एक डॉक्यूमेंट्री की थी, तब उन्होंने आगे भी साथ काम करने का वादा किया। ‘आहट’ सीरियल में एक एपीसोड का ही काम करने के बाद सिंह की टीम से कॉल आया और मिटिंग के लिए बुलाया। वहां मुझे ‘सीआइडी’ सीरियल में एक एपीसोड के लिए डॉक्टर का रोल आॅफर हुआ। हालांकि मैं डॉक्टर के रोल करते—करते थोडा बोर हो गया था, ऐसे में उन्होंने समझाया कि यह फॉरेंसिक एक्सपर्ट का रोल है, जो मुझे चैलेंजिंग रोल मिला। एक एपीसोड कंपलीट करने के बाद मैं घर आ गया। 10—15 दिन बाद मुझे कॉल आया कि वीपी सिंह ने निर्णय लिया है कि डॉक्टर के किरदार को सीरियल में कंटीन्यू किया जाएगा। ऐसे में यह किरदार लगभग 22 साल चला, जो मेरे लिए भी यादगार है।
लॉकडाउन ने बहुत कुछ सिखाया
उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो पहले कुछ समझ में नहीं हुआ कि क्या हुआ है। थिएटर बंद, शूटिंग बंद, ऐसा कभी जीवन में सुना तक नहीं था। कुछ दिन घर में बैठे रहे तो कुछ अच्छा लगा, सोचा घर के कुछ काम निपटा लूंगा। कुछ समय पत्नी का भी हाथ बटाया, खाने—पीने की चीजे भी बनाई। फिर धीरे—धीरे थकाना शुरू किया। हम जैसे क्रिएटिव लोग दिमाग से पहले थकते हैं। रोज काम पर जाने वाले लोगों का जीवन रूक जाए तो यह थकावट होने लगती है। हम जैसे लोगों के लिए वर्क फ्रॉम होम वाली स्थिति भी नहीं रहती। ऐसे में मैंने एक प्ले को हिन्दी में अडेप्ट किया। मुझे हाथ से ही लिखने का शौक रहा है, ऐसे में पहले इसे हाथ से लिखा और अब इसे कम्प्यूटर में भी टाइप करके डाला है।