कला कोई भी हो वो आप पर एक सकारात्मक प्रभाव जरूर डालती है। आपके जीवन को नई दिशा दिखलाती है। बस जरुरत है कि आप अपने जीवन से कुछ पल निकाले और कलाओं से जुड़ कर देखें और स्वयं अनुभव करें इसके पॉजिटिव असर का। इस बार हम आपके लिए लाएं है कुछ विशेष, कुछ नया और कुछ ऐसा जिसका इतिहास से गहरा जुड़ाव है।
राजस्थान स्टूडियो कला क्षेत्र पर आधारित विशेष सत्रों का आयोजन करता है जहाँ आप अनुभवी एवं पारंगत कलाकारों के साथ स्वयं कलाओं का अनुभव कर सकते हैं।
कहते हैं संगीत में बड़ी शक्ति है और इस बात को आप भी महसूस कर सकते हैं हमारे म्यूजिक थैरेपी सैशन के साथ। इस दो घंटे के विशेष सत्र में, आप अनुभव कर सकते हैं कि किस प्रकार एक छोटी से अवधि में संगीत आपकी मनोदशा को सकारात्मक रूप से बदल सकता है। इसमें मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक जुड़ाव भी शामिल है।प्रदीप चतुर्वेदी एक प्रतिभाशाली कलाकार हैं जो संगीत की दुनिया से और उससे जुड़े अनजान पहलुओं से आपका परिचय कराएंगे। प्रदीप चतुर्वेदी एक मंझे हुए संगीतज्ञ और पियानो प्रशिक्षक हैं। जिन्होंने 2005 में पहले पश्चिमी संगीत और पियानो संगीत विद्यालय ‘सोल ऑफ सिम्फनी’ की शुरुआत राजस्थान में की।
संगीत थैरेपी :
संगीत थैरेपी के द्वारा किसी समूह या व्यक्ति की शारीरिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और सामाजिक जरूरतों एवं समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलती है। संगीत में एक अलग ही ऊर्जा होती है और यह थैरेपी सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है।
मिनिमलिस्ट फ़ोटोग्राफ़र प्रकाश घई राजस्थान के बेहतरीन फोटोग्राफर्स में शामिल हैं जो आपको इस विधा से जुड़ी कलाओं, तकनीक और बारीकियों के बारे में हर एंगल सरलता से समझा सकते हैं । बस आपको चाहिए एक साधारण स्मार्टफोन कैमरा। इनके साथ टहलते हुए सीखें कि कैसे अपने मोबाइल से भी आप परफेक्ट शॉट कैप्चर कर सकते हैं।
प्रकाश घई एक सफल बिजनेसमैन और एक उत्साही फोटोग्राफर हैं। वे सभी के लिए एक प्रेरणा हैं। उन्होंने 5 मेगापिक्सेल कैनन कैमरा और कुछ स्टेशनरी उत्पादों को अपने मॉडल के रूप में लिया और दिसंबर 2012 में मिनिमलिस्ट फोटोग्राफी की यात्रा शुरू की और आज वे अपनी एक नई पहचान कायम कर चुके हैं।
मिनिमलिस्ट फोटोग्राफी:
यह कला सादगी के सिद्धांत का पालन करती है और स्पष्ट और संक्षिप्त कांसेप्ट प्रस्तुत करती है। यह लेंस के पीछे के व्यक्ति की कलात्मकता और मानस के विषय में भी बताती है।
पृथ्वी राज कुमावत के साथ आप भी सुन्दर रंगीन रत्नों पर नक्काशी की कला का अनुभव कर सकते हैं। इस शिल्प के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरणों के साथ ही एनग्रेविंग के विभिन्न चरणों को देखने और समझने का मौका भी आपको इस सत्र में मिलेगा। पृथ्वी राज कुमावत को 44 वर्षों का अनुभव है और वे नक्काशी की इस कला में पारंगत हैं। उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार भी शामिल हैं।
रत्न नक्काशी:
सिंधु घाटी सभ्यता से चली आ रही कलाओं में से एक कला हैं जो आज दुनिया भर में अपार लोकप्रियता हासिल कर चुकी है। भारत का जयपुर शहर इस कला के लिए जाना जाता है। यह शहर रत्नों की कटिंग और पॉलिश के कई माहिर कलाकारों का घर है।
पेपर माशे के साथ बनाओ कुछ नया !
पेपर माशे की कला बड़ी ही मज़ेदार है जिसमें न तो ज़्यादा समय लगता है और न ही किसी बारीकी की जरुरत है। राकेश व्यास के साथ एक पेपर माशे प्रोजेक्ट चुनें और बिना किसी चिंता के कुछ ही घंटों में बनाएं अपनी कलाकृति। राकेश व्यास को बच्चों के साथ काम करना बेहद अच्छा लगता है। उन्होंने कई स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ भी काम किया है। उन्होंने राजस्थान और दिल्ली में लगने वाले कई मेलों और प्रदर्शनियों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया है।
पेपर माशे की कला में एक साथ चिपके हुए पेपर स्ट्रिप्स का उपयोग किया जाता है। कागज को भिगोने से प्राप्त लुगदी में गोंद मिलाकर इससे कलाकृतियों का निर्माण किया जाता है।
लघु चित्रकारी यानि मिनिएचर पेंटिंग बहुत ही सुन्दर एवं आकर्षक कला है। हमारे अनुभवी कलाकार मास्टर शाकिर अली इस कला की सभी बारीकियों से भली -भांति परिचित हैं और इस सत्र में आप उनसे मिनिएचर पेंटिंग के विषय में बेहतर समझ और तकनीक जान सकते हैं।
जयपुर के रहने वाले सैयद शाकिर अली एक प्रसिद्ध लघु चित्रकार हैं। वे मुगल शैली की चित्रकला में माहिर हैं। उनकी कला के लिए वर्ष 2013 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।
लघु चित्रकारी:
लघु चित्रों की समृद्ध विरासत भारतीय वास्तुकला में देखी जा सकती है। इस कला का मुख्य आकर्षण है डिटेलिंग और इसमें प्रयोग होने वाले सुन्दर रंगों का लुभावना सयोंजन।